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लम्हों में रुख़ बदलते देखा है,

खामोशी से खुद को टूटते देखा है।


समझ लें कुछ बातें वो अनकही,

खुली आँखों से मैंने सपने बिखरते देखा है।


यूँ तो सहारे की आदत न थी,

पर एक सहारे के लिए खुद को बेसहारा होते देखा है।


कोशिश तो किया बार बार समझाने का,

पर हर कोशिश को ज़ार ज़ार होते देखा है।


ख्

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