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सब कह रहे थे
मुंसिफ़ चोर है
मैंने भी कहा
मुंसिफ़ चोर है
सब कह रहे थे
हमें चाहिए आज़ादी
मैंने सुना और कह दिया
मुझे चाहिए आज़ादी
सब कह रहे थे
मुझे रोज़गार दो
मैंने भी कह दिया
मुझे रोज़गार दो
सब किसी न किसी के
कहे को दोहरा रहे थे
भीड़ से किसी एक ने कहा
शाम हो गई
चलो अपने घर चलते हैं
किसी ने नहीं कहा
कल फिर आएंगे।
- साहिल मिश्रा
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