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आगे बढ़ने के क्रम में
पीछे छूट जाता है बहुत कुछ
एक नदी पार करने में
जैसे छूट जाता है कोई किनारा
किनारे पे लगे नाव,
वापस लौटने की प्रतीक्षा
ज्यों ज्यों,आदमी बढ़ रहा होता है आगे
त्यों त्यों छूट रहे होते हैं
गली मोहल्ले, चौराहे और अनगिनत मोड़
जंगल का सूनापन, शहर के शोर
आगे बढ़ने के क्रम में
कभी छूट गया था स्कूल
कक्षाओं में लगे कुर्सी, बेंच और ब्लैकबोर्ड
छूट गए थे पुराने यार
मास्टर जी की मार।
पीछे छूटना मानों
कभी न रुकने वाली प्रक्रिया बन गई हो
आगे बढ़ते रहने के क्रम में
पीछे छूट जाती है उम्मीद
प्रेम में लिखे गए प्रेम पत्र
कुछ नहीं छूटता तो शायद प्रेम
और प्रेम में लिखी गईं कविताएं।
वादे छूट जाते हैं, रिश्ते छूट जाते हैं
पीछे, बहुत पीछे,
छूट जाता है वापस लौट आने की उम्मीद
और ये सब हो रहा होता है
आगे बढ़ने के क्रम में।
साहिल मिश्रा।
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