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बहुत देर तक जली होगी आग चूल्हे की
चंद पैसे मज़दूरी में जब ज़्यादा कमाये होंगे
बदन भींगा नहीं होगा बारिश के आने से
थक ख़्वाब में उसने जब मकां बनाये होंगे
- साहिल मिश्रा
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बहुत देर तक जली होगी आग चूल्हे की
चंद पैसे मज़दूरी में जब ज़्यादा कमाये होंगे
बदन भींगा नहीं होगा बारिश के आने से
थक ख़्वाब में उसने जब मकां बनाये होंगे
- साहिल मिश्रा
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