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तेरे इश्क़ में किस कदर बदहाल हो गए
की मिलने वाले हाल चाल पूछना छोड़ तरस खा के चले गए
और अब ये आलम है कि खुद को खुद की ख़बर होती नहीं
सुना है ये नामुराद मेरा जनाजा तेरे घर के आगे से
ले गए
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