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अपनी तकलीफ और अपना ग़म सिर्फ हमारा है
चलो कुछ तो है जो सिर्फ हमारा है
वक़्त और खुशियों को तो कब का बांटा जा चुका है
तन्हाई में जो बहता है वो अश्क का कतरा सिर्फ हमारा है
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अपनी तकलीफ और अपना ग़म सिर्फ हमारा है
चलो कुछ तो है जो सिर्फ हमारा है
वक़्त और खुशियों को तो कब का बांटा जा चुका है
तन्हाई में जो बहता है वो अश्क का कतरा सिर्फ हमारा है
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