
ए खुदा रंजिश ही करनी
है, तो जरा पर्दे के
पार तो आ
मेरा दुश्मन दूसरी जहां
में कौन है बतला तो जा
हर रोज़ मुझे सत्ता के
जो चैन से जी रहा है
उस शख्स की अक्स क्या
है दिखला तो जा
सुना है तू हर किसी के बाड़े में सोचता है
तू ये क्या दोनों जहाँ की मुरादें पूरी करता है
अपने होने का कोई निशान बता तो जा
या जो है उन भरमो को मिटा तौ जा
ए खुदा एक बार ही सही झलक दिखला तो जा
तेरी सूरत कैसी किसी ने जानी नहीं
पर हर मूरत में तू बसता है यह बात सबने मानी सही
उन बूत बने पत्थरों के लिए हि सही
तू सच में है तो कभी सामने आ तो जा
सोचता हू सबसे कह दू तू कही दूर चला गया है
मेरा खुदा शायद अपने खुदा की तलाश में निकल गया है
पर सोचता हु झूठी ही सही कैसे किसी की उम्मीद छीन लू
क्या बताऊ की अब तो तेरे मज़ार पे भी रौशनी करने वाला एक चिराग ही रह गया है
तेरी गुहार लगा के हर
किसी की सांस टूट गई
पर तू आएगा ये सोच के
हर किसी की आश
रह गई
जो ज़िंदा है उन्हें तो
तू मिला नहीं ये पता है मुझे
पर मुर्दो के मकबरो पर तो
कभी शमाँ रोशन कर आ
ए खुदा एक बार ही सही
झलक दिखला तो जा
बूत बना संसार में हर कोई ही जी रहा
तू है इस भरम में हर कोई ही रह रहा
ख्वाहिस हर किसी की पूरी न हुई
पर जिनकी हुई वो शुक्रिया अदा तेरा ही कर रहा
बन के ख़ाक कितने मिट्टी में मिल गए
पर उन श्मशानों में आज भी तू ही जल रहा
तेरे नाम का जीवन सब ने जिया
तेरे नाम की ही चीता जली है
तू है या नहीं ये मालुम नहीं
पर इन्शानो की ज़िंदगी तो ख्वाहिशो की चीता पे ही चली है
तू है तो मेरे इस सच को झुटला तो जा
ए खुदा एक बार ही सही तू है तो झलक दिखला तो जा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments