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ए प्रभु हे तो तुं
यही कही इर्दगिर्द हमारे दिखता क्यू नहीं
दिल में तो है ज़रूर आता समझ में नहीं
महसूस तो होता हैं तूं हर लम्हा हर पल
पर ए पालनहार हमें दिखता तूं क्यू नहीं
परखता है हर बंदे को उसकी करनीं के
तराज़ू में तोल, गुनाह बख्शता नही
माना हम ख़ता-वार गुनाहों का अंबार है
क़ायल तो है बंदे तेरी रहमत व जुर्मों पर
तुझे न
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