अपराजिता की तरह's image
Share0 Bookmarks 357 Reads1 Likes

उकेड़ लेती प्रिय तुमको

काश मैं अपनी कविता की तरह

बहता तुम्हारा प्रेम निश्छल सा

मेरे रोम रोम में सरिता की तरह

तुमको पाकर तुम में ही मैं

घुल जाती मैं तुम्हारे रंग में

प्रेम जो होता रा

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts