II हिन्द की सेना II's image
Love PoetryPoetry2 min read

II हिन्द की सेना II

HindiPoems ByVivekHindiPoems ByVivek December 10, 2021
Share0 Bookmarks 45552 Reads0 Likes


हिमालय की बर्फीली ऊँचाइयों से, हिन्द महासागर की अथाह गहराइयों तक।

पूर्वोत्तर के प्रचंड झंझावतों व सघन वर्षावनों से, थार की गर्म शुष्क हवाओं तक।

हिंदुस्तान के कोने कोने में आलोकित है, इनके स्वेद और शोणित की चमक।

और अनंत काल तक गूँजेगी, सेना-ए-हिन्द की जोशीली ललकारों की खनक।

 

माँ भारती की सीमा-औ-सम्मान-सुरक्षा पर, ये सदैव शीश अर्पण को तत्पर।

कभी मुड़े ना कभी रुके ना कभी डरे ना, जब जब आया बलिदान का अवसर।

आशंकित हृदय से करते हैं प्रतीक्षा, इनके घर पर भी इनके प्यारे परिजन। 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts