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मध्यम वर्ग की लड़कियाँ,
सिर्फ़, लड़कियाँ नहीं हो पाती,
उनको पहले होना पड़ता है,
बहन, बेटी और कभी-कभी माँ भी,
उनके हिस्से में नहीं आते सुंदर फ़ुल भरे, आरामदेह रास्तें,
उनको अपने और अपनों के हिस्से के काँटे खाने पड़ते हैं,
उन्हें बने बनाये महल नहीं मिल जाते,
इन्हें सारे पहाड़ ख़ुद तोड़ने पड़ते हैं, सारे दरियाँ को ख़ुद पार करना पड़ता है,
उनके सपनों में, सफ़ेद घोड़ा और राजकुमार नहीं आते,
उनके सपनें, उनके जागने की वजह बन जातें हैं,
इन्हें दहेज में दौलत या मिल्कियत नहीं मिलती,
उम्मीदें, आशाएँ और जवाबदेही मिलती है,
इन्होंने बचपन में अप्सराओं की कथाएँ नहीं सुनी होती,
अपितु अपनी माँ के संघर्ष की निशानियाँ देखी होती हैं,
अपने आत्मविश्वास और अदम्य साहस से,
जीवन की सारी परीक्षाओं के सामने
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