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तमाशा जात मज़हब का

Himkar ShyamHimkar Shyam February 11, 2022
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तमाशा जात मज़हब का, खड़ा करना बहाना है
सभी  नाकामियाँ अपनी  उन्हें  यूँ  ही छुपाना है

ढले सब एक  साँचे में, नहीं  कोई अलग लगता
मुखौटों  में  छुपे  चेहरे,  ज़माने को  दिखाना है

है सारा खेल कुरसी का, समझते क्यूँ नहीं लोगो
लगा कर आग नफ़रत की, उन्हें बस वोट पाना है

बदल जाती

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