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घर आँगन सूना लगे, ख़ाली रोशनदान।
रोज़ सवेरे झुण्ड में, आते थे मेहमान।।
चहक-चहक मन मोहती, चंचल शोख मिज़ाज।
बस यादों में शेष है, चूँ-चूँ की आवाज़।।
प्यारी चिड़ियाँ गुम हुई, लेकर मीठे गान।
उजड़ गए सब घोंस
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