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हँस कर कोयल ने कहा, आया रे! मधुमास।
दिशा-दिशा में छा गया, फागुन का उल्लास।।
झूमे सरसों खेत में, बौराए हैं आम।
दहके फूल पलास के, हुई सिंदूरी शाम।।
टूटी कड़ियाँ फिर जुड़ीं, जुड़े दिलों के तार।
प्रेम-रंग में रँग गया, होली का त्योहार।।
होली के हुड़दंग में, निकले मस्त मलंग।
किसको यारो होश है, पीकर ठर्रा-भंग।।
दिन फागुन के आ गए, सूना गोकुल धाम।
मन राधा का
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