
Share0 Bookmarks 133 Reads0 Likes
सफ़र का लुत्फ़ मिले ज़िंदगी की राहों में
चलूँ जो साथ तेरे इश्क़ की पनाहों में
महक उठी हैं फ़जाएँ किसी के आने से
बहार बन के समाया है कौन चाहों में
असर कुछ ऐसा हुआ उनके शोख़ जल्वों का
उन्हीं का अक्स बसा जाता है निगाहों में
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments