दौड़ती भागती ज़िंदगी रह गयी
बेकली रहनी थी बेकली रह गयी
लोग रिश्ते सभी तोड़ कर चल दिए
मेरी आँखों में बहती नदी रह गयी
चाहतों पर करूँ और क्या तबसरा
हसरतें मर गईं , तिश्नगी रह गयी
मेरी आवाज़ उस तक न पहुँची कभी
बात मेरी सुनी- अनसुनी रह गयी
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