Share0 Bookmarks 197495 Reads0 Likes
रूप सलोना श्याम का, मनमोहन चितचोर।
कहतीं ब्रज की गोपियाँ, नटखट माखन चोर।।
निरख रही माँ जसुमति, झूमा गोकुल धाम।
मीरा के मन में बसे, बंसीधर घनश्याम।।
सुध-बुध खोई राधिका, सुन मुरली की तान।
अर्जुन की आँखें खुल
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments