बंसीधर धनश्याम's image
Poetry1 min read

बंसीधर धनश्याम

Himkar ShyamHimkar Shyam August 30, 2021
Share0 Bookmarks 197495 Reads0 Likes

रूप सलोना श्याम का, मनमोहन चितचोर।

कहतीं ब्रज की गोपियाँ, नटखट माखन चोर।।


निरख रही माँ जसुमति, झूमा गोकुल धाम। 

मीरा के मन में बसे, बंसीधर घनश्याम।। 


सुध-बुध खोई राधिका, सुन मुरली की तान।

अर्जुन की आँखें खुल

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts