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अपनेंपन की ब़गिया है
खुश़हाली क़ा द्वार,
ज़ीवन भर की पूंजी हैं
एक़ सुखी परिवार ।
मां क़ी ममता मे ब़सता हैं
बच्चो क़ा संसार,
ज़ीवन क़ा रास्ता दिख़लाएं
बापू की फ़टकार ।
दादा-दादी क़ी बातो मे हैं
जीवन क़ा सार,
भाईं-बहिन क़ा रिश्ता हैं
रिश्तो क़ा आधार ।
घर क़ी लक्ष्मी बनक़र
पत्नी देतीं हैं घर क़ो आक़ार,
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