
Share0 Bookmarks 26 Reads0 Likes
तुम्हारे शहर
की गली का
आख़िरी सिरा,
मेरे शहर की
पहली गली से
मिलता है,
उसी होकर,
अनुभूति तुम्हारी,
पहुंचती है मुझ तक,
उसी होकर,
संचार होता है,
प्रेम का मुझ तक,
ऐसा प्रतीत होता है।
✍️चंदन झा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments