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यही सोचते वक़्त फिसल जाता है
कि लोग क्या कहेंगे
कुछ करने की चाह जहन में जगाये रखो
दिल में उम्मीदों का दिया जलाये रखो
चिराग भी अंधेरे में ही जलते हैं
मत सोचो कि लोग क्या कहेंगे
आत्मविश्वास का मज़र बना रहे
दिल में साहस और हिम्मत बनी रहे
कुछ हासिल करना है तो
कर्म की लौ को निरंतर जलाये रखो
बदल डालो अपनी इस फितरत को
कि लोग क्या कहेंगे
साथ हँसने वाले हज़ार मिलेंगे
पर रोना सबकोअकेले ही है
जीवन के पन्ने जल्दी पलट रहे हैं
हर पन्ने को खुशी से पढ़कर देखो
बेवजह अपने को मत मारो
अंत कर डालो इस कश्मकश का
कि लोग क्या कहेंगे।
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