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क्या नहीं सिखाया ज़िंदगी ने
सूरज की किरण एक नया सवेरा लाती है
उस नये सवेरे में एक नई उम्मीद के साथ
जीना सिखाया ज़िंदगी ने
हर क्षण कुछ नया करना चाहा
वो भी सिखाया ज़िंदगी ने
नहीं खबर कल क्या होगा
फिर भी नवीन स्वप्न का निर्माण
करना सिखाया ज़िंदगी ने
ज़िंदगी में ऐसे मोड़ भी आते हैं
जब अपने भी धोखा दे जाते हैं
अपने और पराये में फर्क करना
सिखाया ज़िंदगी न
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