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क्या नहीं सिखाया ज़िंदगी ने
सूरज की किरण एक नया सवेरा लाती है
उस नये सवेरे में एक नई उम्मीद के साथ
जीना सिखाया ज़िंदगी ने
हर क्षण कुछ नया करना चाहा
वो भी सिखाया ज़िंदगी ने
नहीं खबर कल क्या होगा
फिर भी नवीन स्वप्न का निर्माण
करना सिखाया ज़िंदगी ने
ज़िंदगी में ऐसे मोड़ भी आते हैं
जब अपने भी धोखा दे जाते हैं
अपने और पराये में फर्क करना
सिखाया ज़िंदगी ने
अकेले ही जिये जा रहे थे
साथ में जीना सिखाया ज़िंदगी ने
गलतियाँ इंसान हज़ार करता है
पर सीख लेना सिखाया ज़िंदगी ने
सुख दुःख आते जाते हैं
जीवन क्रम यूँ ही चलता रहता है
पर साहस रखना सिखाया ज़िंदगी ने
आँखें भी कभी नम होती हैं
तो खुशी के आँसू भी आते हैं
हर हाल में हँसना सिखाया ज़िंदगी ने
क्या नहीं सिखाया ज़िंदगी नेने
सब कुछ सिखाया ज़िंदगी ने।
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