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हे जगत जगदीश्वर्
हैं संग जिसके नंदीश्वर
मस्तक चंदा विराजे
कंठ सर्पों की माला साजे
जटाओं बीच गंगा बहती
कहलाते हैं भभूतधारी
बगल में शिव के उमा दमके
रूप दोनों का खूब चमके
एक ओर गणपति विराजे
दूजे सुपुत्र कर्तिके साजे
ऐसे भोले बाबा हमारे
सब भक्तों की पुकार हैं सुनते
सृष्टि का आदि अनंत इन्ही से होता, ये ही संसार के पालनकर्ता।
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