
नमस्कार दोस्तों मैं हिमाक्षी आज एक नए लेख नई कविता के साथ| आशा करती हूँ आपको मेरे लेख व कविताएँ पसंद आए| दोस्तों आज जो मैं लिखने जा रही हूँ वह हमारे विचारो और शांति के बारे मे हैं| हम सभी को शांति बहुत प्रिय है, पर क्या विचार हमे शांत होने देते है? मेरा उत्तर तो 'ना' ही है| जैसे हमारी साँसे निरंतर चलती रहती है उसी प्रकार हमारे मन मे विचार निरंतर चलते रहते है| जहाँ तक पिछ्ले कल कि बात है तो यह वास्तविकता मे हमे परेशान नही करता, ना ही आने वाला कल जिसे हम जानते भी नही है हमे वास्तविकता मे परेशान करता है, परेशान करते है तो इनके विचार जिन्हें सोचकर हम अपने आज मे विचलित हो उठते है| कभी-कभी मन करता है कि इन सब पर विराम लगाते हुए बस शांत हो जायें, चुप हो जाएं, और बस इसी विषय पर है मेरी नई कविता "मैं सोचना नहीं चाहती" तो चलिए शुरू करते हैं|
मैं सोचना नहीं चाहती
बस चुप होना चाहती|
मैं समय कि पाबंद नहीं
बस स्थिर होना चाहती
ना अगला ना पिछ्ला
महसूस करना चाहती,
ना पिछ्ला ही सोचती
ना आने वाला कल ही
यह क्षण जो है चल रहा
बस महसूस करना चाहती|
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