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❣️मैं मेरी चाय और तुम❣️
मेरे सर दर्द को दूर करती है जो,
सुनो तुम मुझे चाय सी लगती हो.
जिसको सोचूँ मैं शाम सहर जिससे मैं मुकम्मल होता हूँ,
ख्वाबों में जिसके रहता और आलिंगन करके सोता हूँ,
उस चाय सी तुम मुझे लगती हो...
सुबह को आंखे खुलते ही जो सामने मेरे होती है,
मुझको बाहों में भरके मेरे लबों को जो भिगोती है,
उस चाय सी तुम मुझे लगती हो...
तन्हाई में भी जो अक्सर मेरे हाथ को थामे
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