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जबाब नहीं है तेरा कोई तू खुद एक सबाल है
हाय मिज़ाज-ए-कातिलाना कसम से बबाल है
डूब जाता हूँ तुझ में ही जब कभी निहारता हूँ
काग़ज़ के दर्पण पर कलम से तुम्हें उतारता हूँ
Anubhav Mishra
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