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मैं आसमाँ का भटकता परिंदा, मुझको घर तक मेरे पहुंचा दो,
एक तेरा सहारा है *अनुभव*, मुझको मंजिल से मेरी मिला दो.
टूटा हूँ कुछ मैं अंदर से ऐसे, हौसला मेरा फिर तुम बढ़ा दो,
अपनी मंजिल भटकने लगा हूँ, थाम उंगली मुझे तुम चला दो.
ग़म का मारा थका हारा हूँ मै
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