mukhtak's image
Share0 Bookmarks 12 Reads0 Likes
कई राते जागकर स्याह की है
तब कहीं जाकर आपने वाह की है
यूं ही नहीं आया है ये फन सुखन का
मैने किसी से डूबकर मोहब्बत बेपनाह  की है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts