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अच्छा सुनो,
ये को बरसात सी चंचलता तेरे आंखों में है,
जानी तू अंजान है लेकिन,
सिर्फ तेरे इक मुस्कान के दीवाने लाखों में है,
मौसम–ए–इश्क है,
कहानी बन कर आ जा ना,
मेरी रूह को भींगो दे जो,
वो पानी बन कर आ जा ना।
~हर्षिता कीर्ति
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