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अब के तेरी याद आई नहीं बहुत दिन से
एक उदासी सी दिल में छाई रही बहुत दिन से ।
मोहब्बतों का सफर ठहरा हुआ सा है
कोई शम्मा भी तूने जलाई नहीं बहुत दिन से ।
निगाहें तुझसे मिलाने की हिम्मत बाकी कहा
सो तेरी तस्वीर बनाई नहीं बहुत दिन से ।
सोचता हूं कि कोई रात गुजारूं मयखाने में
कोई आदत हमने बुरी लगाई नहीं बहुत दिन से ।
- हर्षवर्धन तिवारी
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