ये बसंत, ये बसंत,
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ये बसंत, ये बसंत, (कविता)बसंत महिमा

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश February 6, 2022
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मेरी लेखनी, मेरी कविता
ये बसंत, ये बसंत
(कविता) बसंत महिमा 

ये बसंत ,ये बसंत,
 जीवन की है, नवीनता चहुुँओर दिगदिगंत ।
ये बसंत, ये बसंत ।।

सूरज की रोशनी ,
फैली है फिजाँ में,
 विहगों की कलकलाहट सतरंगी जहांँ में।
 माँँ भारती का आंँचल, फैला हुआ अनंत।
 ये बसंत, ये बसंत।।
  
जिस और देखता हूंँ, नवचार  नजर आए,
&

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