
Share1 Bookmarks 1193 Reads1 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"उपवन और बारिश" (कविता)
तू मेघों की रानी
मैैं उपवन का राजा,
कभी प्यास मेरी
तू आकर बुझा जा ।।
बड़ी आस तुझसे
लगा कर मैं बैठा
संचय करूंँगा
जो सौगात देगी,
उजड़ी है बगिया
तू उतार देगी ।।
समय पर तू आकर
वह अग्नि बुझा जा
तू मेघाेें की रानी
मैं उपवन का राजा ।।
सदाँ ही तेरी ओर देखा है मैंने
शराफत भरी
उस अनोखी नजर से ,
मेरे जीव श्रृष्ठा
तू आकर जमीं पर ।।
जीवन को मेरे
तू संचार दे दे ,
कभी भी न उजड़े
वो संसार दे दे।।
कभी भी न टूटे
वह सांँस दे दे
मेरे चमन में
दबी उस कृति को
अभिनव तू आकर के
नवचार दे जा।।
तू मेघों की रानी
मैं उपवन का राजा
कभी प्यास मेरी
तू आकर बुझा जा।।
हरिशंकर सिंह सारांश
"उपवन और बारिश" (कविता)
तू मेघों की रानी
मैैं उपवन का राजा,
कभी प्यास मेरी
तू आकर बुझा जा ।।
बड़ी आस तुझसे
लगा कर मैं बैठा
संचय करूंँगा
जो सौगात देगी,
उजड़ी है बगिया
तू उतार देगी ।।
समय पर तू आकर
वह अग्नि बुझा जा
तू मेघाेें की रानी
मैं उपवन का राजा ।।
सदाँ ही तेरी ओर देखा है मैंने
शराफत भरी
उस अनोखी नजर से ,
मेरे जीव श्रृष्ठा
तू आकर जमीं पर ।।
जीवन को मेरे
तू संचार दे दे ,
कभी भी न उजड़े
वो संसार दे दे।।
कभी भी न टूटे
वह सांँस दे दे
मेरे चमन में
दबी उस कृति को
अभिनव तू आकर के
नवचार दे जा।।
तू मेघों की रानी
मैं उपवन का राजा
कभी प्यास मेरी
तू आकर बुझा जा।।
हरिशंकर सिंह सारांश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments