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"तू जाग तेरा जीवन पावन निष्फल न धरा पर हो जाए " (कविता) शिक्षक विशेषांक
February 9, 2022Share1 Bookmarks 46268 Reads1 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"तू जाग तेरा जीवन पावन निष्फल न धरा पर हो जाए" (कविता)
शिक्षक विशेषांक
तू जाग
तेरा जीवन पावन निष्फल न
धरा पर हो जाए!
जो पुंँज प्रकाश तेरे अंदर
आलस में घिर के
न खो जाए।
तू जाग!
तेरा जीवन पावन निष्फल न
धरा पर हो जाए।
तू सागर जितना
गहरा है,
दुनिया का तू
एक चेहरा है।
मानव की पीढ़ी
गढने का,
तेरे ही सिर पर
सेहरा है।
तू कलम उठा
और आगे बढ़
पल-पल निर्मित कर ज्ञान सृजन
चह
"तू जाग तेरा जीवन पावन निष्फल न धरा पर हो जाए" (कविता)
शिक्षक विशेषांक
तू जाग
तेरा जीवन पावन निष्फल न
धरा पर हो जाए!
जो पुंँज प्रकाश तेरे अंदर
आलस में घिर के
न खो जाए।
तू जाग!
तेरा जीवन पावन निष्फल न
धरा पर हो जाए।
तू सागर जितना
गहरा है,
दुनिया का तू
एक चेहरा है।
मानव की पीढ़ी
गढने का,
तेरे ही सिर पर
सेहरा है।
तू कलम उठा
और आगे बढ़
पल-पल निर्मित कर ज्ञान सृजन
चह
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