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मेरी लेखनी मेरी कविता
थोड़े से नरम मिजाज बनो
(कविता) शिक्षक विशेषांक
कलम हाथ में
लेकर अपने
जीवन की पतवार बनो ।।
थोड़े बनो कठोर मगर
थोड़े से नरम मिजाज बनो।।
कोमल स्वभाव बच्चों का है
लेकिन बस इतना याद रहे
ऊंँच नीच और सच्चाई का
इनको यह आभास रहे ।
इनकी खातिर ज्ञानपुुँज तुम
थोड़ा सरल स्वभाव बनो ।
थोड़े से नरम मिजाज बनो ।।
कभी-कभी अल्लहड
सा बचपन
नादानी भी करता है।
नादानी को दूर करो तुम
ऐसे पुंँज प्रकाश बनो ।
थोड़े से नरम मिजाज बनो ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
थोड़े से नरम मिजाज बनो
(कविता) शिक्षक विशेषांक
कलम हाथ में
लेकर अपने
जीवन की पतवार बनो ।।
थोड़े बनो कठोर मगर
थोड़े से नरम मिजाज बनो।।
कोमल स्वभाव बच्चों का है
लेकिन बस इतना याद रहे
ऊंँच नीच और सच्चाई का
इनको यह आभास रहे ।
इनकी खातिर ज्ञानपुुँज तुम
थोड़ा सरल स्वभाव बनो ।
थोड़े से नरम मिजाज बनो ।।
कभी-कभी अल्लहड
सा बचपन
नादानी भी करता है।
नादानी को दूर करो तुम
ऐसे पुंँज प्रकाश बनो ।
थोड़े से नरम मिजाज बनो ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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