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तेरा यह मिजाज समझ नहीं आया (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश May 19, 2022
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मेरी लेखनी मेरी कविता
तेरा यह मिजाज समझ नहीं आया
(कविता)

तेरे मिलने का दस्तूर
 समझ नहीं आया,
मेरा था क्या कसूर
 मुझे समझ नहीं आया।।

खता मेरी थी
 या गुनहगार तुम ,
मुझे तुम्हारा यह अंदाज 
समझ नहीं आया

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