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मेरी लेखनी मेरी कविता
श्री राम को प्यार मिला शबरी के झूठे बेरों में
(कविता)
कंदमूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे ।।
पोरस जैसे शूरवीर को
नमन सिकंदर करते थे ।।
चौदह वर्षों तक खूँखारी
श्री राम को प्यार मिला शबरी के झूठे बेरों में
(कविता)
कंदमूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे ।।
पोरस जैसे शूरवीर को
नमन सिकंदर करते थे ।।
चौदह वर्षों तक खूँखारी
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