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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना "( कविता)
कभी तुमको मेरी जरूरत पड़े तो ,
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना ।।
अंधेरों में मैं, घिर गया आज तो क्या?
जमाने ने मुझको सताया है तो क्या?
इशारों से अपने ,तू संदेश देना ,
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
सदा ही तेरी ओर देखा है मैंने ,
शराफत भरी उस अनोखी नजर से ,
अंधेरों में भी उस नजर का नजारा ,
मेरे हमसफ़र तू मुझे भेज देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना
कभी तुम खिले थे गुलाबों के जैसे ,
अब लग रहे हो जमाने के जैसे ,
उजालों में कोई मुझे छांव देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
आंखों से तेरी पिया जाम मैंने ,
सदा ही सराहा ,तेरा काम मैंने ।
तू जीवन की नैया को पतवार देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
हरिशंकर सिंह सारांश
"सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना "( कविता)
कभी तुमको मेरी जरूरत पड़े तो ,
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना ।।
अंधेरों में मैं, घिर गया आज तो क्या?
जमाने ने मुझको सताया है तो क्या?
इशारों से अपने ,तू संदेश देना ,
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
सदा ही तेरी ओर देखा है मैंने ,
शराफत भरी उस अनोखी नजर से ,
अंधेरों में भी उस नजर का नजारा ,
मेरे हमसफ़र तू मुझे भेज देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना
कभी तुम खिले थे गुलाबों के जैसे ,
अब लग रहे हो जमाने के जैसे ,
उजालों में कोई मुझे छांव देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
आंखों से तेरी पिया जाम मैंने ,
सदा ही सराहा ,तेरा काम मैंने ।
तू जीवन की नैया को पतवार देना ।
सितमगर मुझे सिर्फ आवाज देना।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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