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मेरे लेखनी मेरी कविता
सीने से लगाया क्यों नहीं
(कविता)
शिकायत है तुमसे
इतनी सी बात पर,
रुठा था मैं तुमसे
मनाया क्यों नहीं।
मनाकर सीने से
लगाया क्यों नहीं।।
कहते थे करते हैं
तुमसे प्यार,
जब प्यार था तो
नखरा उठाया क्यों नहीं,
मनाकर सीने से
लगाया क्यों नहीं।।
सीने से लगाया क्यों नहीं
(कविता)
शिकायत है तुमसे
इतनी सी बात पर,
रुठा था मैं तुमसे
मनाया क्यों नहीं।
मनाकर सीने से
लगाया क्यों नहीं।।
कहते थे करते हैं
तुमसे प्यार,
जब प्यार था तो
नखरा उठाया क्यों नहीं,
मनाकर सीने से
लगाया क्यों नहीं।।
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