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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
सीख ( कविता)
तू नीत,रीति का
दीपक बन,
चहुुँओर उजाला कर दे,
सेेेवा का जो खालीपन है उसको मेहनत से भर देे।
अनवरत ज्ञान का
वाहक बन ,
तू सदाचार
संवाहक बन।
गुरुजन की आशीशों पर चल
सब दूर अंधेरा कर दे।
तू प्रीत रीति का दीपक बन
चहुँओर उजाला कर दे।।
हरिशंकर सिंह सारांश
सीख ( कविता)
तू नीत,रीति का
दीपक बन,
चहुुँओर उजाला कर दे,
सेेेवा का जो खालीपन है उसको मेहनत से भर देे।
अनवरत ज्ञान का
वाहक बन ,
तू सदाचार
संवाहक बन।
गुरुजन की आशीशों पर चल
सब दूर अंधेरा कर दे।
तू प्रीत रीति का दीपक बन
चहुँओर उजाला कर दे।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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