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मेरी लेखनी मेरी कविता
सत्य पथ (कविता )
सत्य पथ,है अग्नीपथ ,
तू चला चल निष्कपट ।
दौर हो कठिनाइयों का,
दरिया विशाल हो ,
हर स्थिति, परिस्थिति में
दमकता कपाल हो ।।
कुछ न कर सकेगी तेरा
जीवन लपट ,
तू चला चल निष्कपट
सत्य पथ है अग्निपथ ।।
तूने करार जिंदगी में जो किए,
निर्धारित लक्ष्य जो तूने किये
लक्ष्य को पाने की खातिर
ढूंढ ले अभीष्ट पथ,
सत्य पथ, है अग्निपथ ।।
चल अकेला राह पर ,
पथिक तो मिल जाएंगे ,
जिंदगी के कष्ट सब,
दूर भी हो जाएंगे ।
सोचकर बेकार बातें
तू न पड संकट विकट।
तू चला चल निष्कपट ।
सत्य पथ है ,अग्निपथ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
सत्य पथ (कविता )
सत्य पथ,है अग्नीपथ ,
तू चला चल निष्कपट ।
दौर हो कठिनाइयों का,
दरिया विशाल हो ,
हर स्थिति, परिस्थिति में
दमकता कपाल हो ।।
कुछ न कर सकेगी तेरा
जीवन लपट ,
तू चला चल निष्कपट
सत्य पथ है अग्निपथ ।।
तूने करार जिंदगी में जो किए,
निर्धारित लक्ष्य जो तूने किये
लक्ष्य को पाने की खातिर
ढूंढ ले अभीष्ट पथ,
सत्य पथ, है अग्निपथ ।।
चल अकेला राह पर ,
पथिक तो मिल जाएंगे ,
जिंदगी के कष्ट सब,
दूर भी हो जाएंगे ।
सोचकर बेकार बातें
तू न पड संकट विकट।
तू चला चल निष्कपट ।
सत्य पथ है ,अग्निपथ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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