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समय की चाल निरंतर चलती (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश June 8, 2022
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मेरी लेखनी मेरी कविता 
समय की चाल निरंतर चलती  
(कविता)

समय की चाल
 निरंतर चलती
 हर पल में रूप बदलती है
 नए नए रंग दिखाती है
 कभी कष्ट में मरहम बनती
कभी मुसीबत लाती है
 समय की चाल निरंतर चलती
क्या क्या रूप दिखाती है ।।

हर पल कितना मूल्यवान है
 सबक

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