
Share0 Bookmarks 1650 Reads1 Likes
मेरी लेखनी मेरी कविता
सामने ही जिंदगी खड़ी है
(कविता)उम्मीद
मुस्कुराते चेहरों को
दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसी के
पांव में छाला होगा।।
बिना संघर्ष के
इंसान चमक नहीं सकता,
जो जलेगा उसी से तो
उजाला होगा ।।
उदास होने के लिए
उम्र पड़ी है
नजर उठाओ
सामने जिंदगी खड़ी है।।
अपनी हंसी को
होंठो से न जाने देना
क्योंकि आपके पीछे
दुनिया पड़ी है।।
सामने जिंदगी खड़ी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
सामने ही जिंदगी खड़ी है
(कविता)उम्मीद
मुस्कुराते चेहरों को
दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसी के
पांव में छाला होगा।।
बिना संघर्ष के
इंसान चमक नहीं सकता,
जो जलेगा उसी से तो
उजाला होगा ।।
उदास होने के लिए
उम्र पड़ी है
नजर उठाओ
सामने जिंदगी खड़ी है।।
अपनी हंसी को
होंठो से न जाने देना
क्योंकि आपके पीछे
दुनिया पड़ी है।।
सामने जिंदगी खड़ी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments