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मेरी लेखनी मेरी कविता
समंदर का पानी शराब होता
(कविता)
समंदर का पानी शराब होता
तो सोचो कितना बवाल होता।
हकीकत ख्वाब होते तो
सोचो कितना सवाब होता।
किसी के दिल में क्या छुपा है
बस खुदा ही जानता है।
दिल अगर बेनकाब हो तो
सोचो कितना बवाल होता।।
थी खामोशी हमारी फितरत में
तभी तो बरसों निभाई लोगों से,
अगर मुंँह में हमारे जवाब होते
तो सोचो कितना बवाल होता।।
हम तो अच्छे थे मगर लोगों की
निगाह में हमेशा बुरे ही रहे,
अगर हम सच में बुरे होते तो
सोचो कितना बवाल होता।।
हरिशंकर सिंह सारांश
समंदर का पानी शराब होता
(कविता)
समंदर का पानी शराब होता
तो सोचो कितना बवाल होता।
हकीकत ख्वाब होते तो
सोचो कितना सवाब होता।
किसी के दिल में क्या छुपा है
बस खुदा ही जानता है।
दिल अगर बेनकाब हो तो
सोचो कितना बवाल होता।।
थी खामोशी हमारी फितरत में
तभी तो बरसों निभाई लोगों से,
अगर मुंँह में हमारे जवाब होते
तो सोचो कितना बवाल होता।।
हम तो अच्छे थे मगर लोगों की
निगाह में हमेशा बुरे ही रहे,
अगर हम सच में बुरे होते तो
सोचो कितना बवाल होता।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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