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मेरी लेखनी, मेरी कविता
प्रेम गीत (एक छंद)
प्रेम के गीत सीख ,
व्याकरण पर न जा।
मन की पीड़ा समझ ,
आचरण पर न जा ।।
मेरा मन कोई गीता से कम तो नहीं ,
खोलकर पृष्ठ पढ़
आवरण पर न जा ।।
हरिशंकर सिंह" सारांश"
प्रेम गीत (एक छंद)
प्रेम के गीत सीख ,
व्याकरण पर न जा।
मन की पीड़ा समझ ,
आचरण पर न जा ।।
मेरा मन कोई गीता से कम तो नहीं ,
खोलकर पृष्ठ पढ़
आवरण पर न जा ।।
हरिशंकर सिंह" सारांश"
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