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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
पानी को यूंँ ना वहाइये
(कविता)एक संदेश
मेरे प्रिय दोस्तों, साथियों
थोड़ा रहम खाइए।
पानी अनमोल है
इसे यूंँ ना वहाइए।।
जल ही जीवन है
ऐसा सभी फरमाते हैं।
विज्ञान वाले
पानी का मूल्य बताते हैं।।
जब सभी जगा रहे हैं
अब तो जाग जाइए।
पानी को यूंँ ना बहाइए।।
पानी के बिना
जीवन बेजान हो जाएगा।
शरीर को पानी न मिला तो
डिहाइड्रेशन हो जाएगा ।।
पेड़ों को, पक्षियों को ,पशुओं को
इसकी जरूरत है।
इसी के बल पर
यह धरती खूबसूरत है।।
इस धरती का वजूद
यूँ ना मिटाइये।
पानी को यूंँ ना बहाइए।।
सोचो घर में पानी ना रहा
तो कैसे नहाओगे।
आलस भरी आंखों से
दिन बिताओगे।।
जागरूक बनो
जल संचय करो।
पानी को यूंँ ना
बर्बाद करो।।
कम से कम
अब तो मान जाइए
पानी को यूंँ ना वहाइए।।
पानी ना रहा तो
अनिष्ट हो जाएगा।
इस धरती से प्राणियों का
वजूद मिट जाएगा।।
देर होने से पहले
जाग जाइए।
पानी को यूंँ ना वहाइए।।
हरिशंकर सिंह सारांश
पानी को यूंँ ना वहाइये
(कविता)एक संदेश
मेरे प्रिय दोस्तों, साथियों
थोड़ा रहम खाइए।
पानी अनमोल है
इसे यूंँ ना वहाइए।।
जल ही जीवन है
ऐसा सभी फरमाते हैं।
विज्ञान वाले
पानी का मूल्य बताते हैं।।
जब सभी जगा रहे हैं
अब तो जाग जाइए।
पानी को यूंँ ना बहाइए।।
पानी के बिना
जीवन बेजान हो जाएगा।
शरीर को पानी न मिला तो
डिहाइड्रेशन हो जाएगा ।।
पेड़ों को, पक्षियों को ,पशुओं को
इसकी जरूरत है।
इसी के बल पर
यह धरती खूबसूरत है।।
इस धरती का वजूद
यूँ ना मिटाइये।
पानी को यूंँ ना बहाइए।।
सोचो घर में पानी ना रहा
तो कैसे नहाओगे।
आलस भरी आंखों से
दिन बिताओगे।।
जागरूक बनो
जल संचय करो।
पानी को यूंँ ना
बर्बाद करो।।
कम से कम
अब तो मान जाइए
पानी को यूंँ ना वहाइए।।
पानी ना रहा तो
अनिष्ट हो जाएगा।
इस धरती से प्राणियों का
वजूद मिट जाएगा।।
देर होने से पहले
जाग जाइए।
पानी को यूंँ ना वहाइए।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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