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February 10, 2022
"नमन कर मात और पित को तुम्हें आशीष लेनी है।" (कविता) बाल विशेषांक

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मेरी लेखनी, मेरी कविता
नमन कर मात और पित को तुम्हें आशीष लेनी है। (कविता )बाल विशेषांक
नमन कर
मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी है।
सफल हो जाए
ये जीवन
तुम्हें सौगात लेनी है।
छोड़ दो सोच ऐसी
जो क्षणिक आधार
होती है,
तेरे जीवन की नैया तो ज्ञान से पार होती है।
चला चल तू सफर पर बिन रुके निशदिन, निरंतरता से जीवन की हर मुश्किल पार होती है।
अभिनव जिंदगी
के वास्ते
मेहनत भी कुछ कर लो, सफलता ज्ञान की गागर इसे शिक्षा से तुमभर लो।
मुकम्मल ज्ञान
मिल जाए
तो जीवन पार होता है, तेरे मन का अधूरा ज्ञान भी साकार होता है।
बड़े सपने जो देखे हैं उन्हें मिटने नहीं देना
हर सपना ही तो
मंजिल का
आधार होता है।
मुकम्मल ज्ञान की
तुमको अभी
सौगात लेनी है।
नमन कर मात और पित को तुम्हें आशीष लेनी है।
हरिशंकर सिंह सारांश
नमन कर मात और पित को तुम्हें आशीष लेनी है। (कविता )बाल विशेषांक
नमन कर
मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी है।
सफल हो जाए
ये जीवन
तुम्हें सौगात लेनी है।
छोड़ दो सोच ऐसी
जो क्षणिक आधार
होती है,
तेरे जीवन की नैया तो ज्ञान से पार होती है।
चला चल तू सफर पर बिन रुके निशदिन, निरंतरता से जीवन की हर मुश्किल पार होती है।
अभिनव जिंदगी
के वास्ते
मेहनत भी कुछ कर लो, सफलता ज्ञान की गागर इसे शिक्षा से तुमभर लो।
मुकम्मल ज्ञान
मिल जाए
तो जीवन पार होता है, तेरे मन का अधूरा ज्ञान भी साकार होता है।
बड़े सपने जो देखे हैं उन्हें मिटने नहीं देना
हर सपना ही तो
मंजिल का
आधार होता है।
मुकम्मल ज्ञान की
तुमको अभी
सौगात लेनी है।
नमन कर मात और पित को तुम्हें आशीष लेनी है।
हरिशंकर सिंह सारांश
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