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मेरी लेखनी मेरी कविता
नमन कर मात और पित को
(कविता)
नमन कर मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी है।
सफल हो जाए यह जीवन
तुम्हें सौगात लेनी है।।
बड़े जतनों से सींचा है
वो उपवन छोड़ जाएंगे
इसी उपवन की तुमको ही
वायु प्राण लेनी है ।।
नमन कर मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी
नमन कर मात और पित को
(कविता)
नमन कर मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी है।
सफल हो जाए यह जीवन
तुम्हें सौगात लेनी है।।
बड़े जतनों से सींचा है
वो उपवन छोड़ जाएंगे
इसी उपवन की तुमको ही
वायु प्राण लेनी है ।।
नमन कर मात और पित को
तुम्हें आशीष लेनी
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