
Poetry2 min read
October 11, 2023
नहीं भूलते उन वृक्षों को जिनकी शीतल छाया,जन्म जन्म से ऋणी है जिनकी हर मानव की काया (कविता)गोकुल जी को समर्पित

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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"नहीं भूलते उन वृक्षों को जिनकी शीतल छाया" गोकुल जी को समर्पित (कविता)
नहीं भूलते उन वृक्षों को
जिन की शीतल छाया ,
जन्म जन्म से ऋणी है जिनकी
हर मानव की काया।
याद करो उस सूरवीर को
जिसकी कंँचन काया।
देश की खातिर जिसने अपना
शान से शीश कटाया ।
नहीं भूलते उन वृक्षों को
जिनकी शीतल छाया ।
सन 66 की बात
मुगल भारी उत्पात मचाया ,
खेती और किसानी पर था
भारी संकट आया।
वीर शिरोमणि गोकुल जी ने
फरमाना भिजवाया।
नहीं मानते जुल्म की बातें
चाहे कुछ भी कर लो,
चाहे संगीनें चलवा लो ,
चाहे
"नहीं भूलते उन वृक्षों को जिनकी शीतल छाया" गोकुल जी को समर्पित (कविता)
नहीं भूलते उन वृक्षों को
जिन की शीतल छाया ,
जन्म जन्म से ऋणी है जिनकी
हर मानव की काया।
याद करो उस सूरवीर को
जिसकी कंँचन काया।
देश की खातिर जिसने अपना
शान से शीश कटाया ।
नहीं भूलते उन वृक्षों को
जिनकी शीतल छाया ।
सन 66 की बात
मुगल भारी उत्पात मचाया ,
खेती और किसानी पर था
भारी संकट आया।
वीर शिरोमणि गोकुल जी ने
फरमाना भिजवाया।
नहीं मानते जुल्म की बातें
चाहे कुछ भी कर लो,
चाहे संगीनें चलवा लो ,
चाहे
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