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मेरी लेखनी मेरी कविता
मोहब्बत का फसाना सुनाना भी जरूरी है
(कविता)
उसकी अहमियत को
बताना भी जरूरी है
है इश्क अगर तो
जताना भी जरूरी है ।
अब काम लफ्फाजी से
तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में
उतर जाना भी जरूरी है।।
दिल के जज्बात
तुम दिल में दबाकर मत रखो
किसी को देखकर प्यार से
मुस्कुराना भी जरूरी है।।
उसे दिल से बताना कि
वह कितनी खूबसूरत है ,
उसे नगमे मोहब्बत के
सुनाना भी जरूरी है ।।
किसी भी हाल में तुम हाथ
ना छोड़ना उसका
किया है इश्क गर तुमने
निभाना भी जरूरी है।।
इश्क में रूठना ,गिले-शिकवे
जरूरी हैं लेकिन
महबूब जब रूठे
मनाना भी जरूरी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
मोहब्बत का फसाना सुनाना भी जरूरी है
(कविता)
उसकी अहमियत को
बताना भी जरूरी है
है इश्क अगर तो
जताना भी जरूरी है ।
अब काम लफ्फाजी से
तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में
उतर जाना भी जरूरी है।।
दिल के जज्बात
तुम दिल में दबाकर मत रखो
किसी को देखकर प्यार से
मुस्कुराना भी जरूरी है।।
उसे दिल से बताना कि
वह कितनी खूबसूरत है ,
उसे नगमे मोहब्बत के
सुनाना भी जरूरी है ।।
किसी भी हाल में तुम हाथ
ना छोड़ना उसका
किया है इश्क गर तुमने
निभाना भी जरूरी है।।
इश्क में रूठना ,गिले-शिकवे
जरूरी हैं लेकिन
महबूब जब रूठे
मनाना भी जरूरी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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