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मेरी लेखनी मेरी कविता
मोहब्बत भी कमाल करते हो
(कविता)
बात बात पर तकरार
हमसे यह कैसा प्यार करते हो।।
बात-बात पर रूठते हो
नाराजगी बेशुमार करते हो
मोहब्बत भी कमाल करते हो।।
लग न जाए जिस्म पर
घाव कहीं
लफ्जों से वार करते हो
अपनी बातों को छुपाने के लिए
मिन्नतेें हजार करते हो।।
महसूस करते हैं
किसी के जज्बातों को,
किसी और का इंतजार करते हो
मोहब्बत भी कमाल करते हो।।
हरिशंकर सिंह सारांश
मोहब्बत भी कमाल करते हो
(कविता)
बात बात पर तकरार
हमसे यह कैसा प्यार करते हो।।
बात-बात पर रूठते हो
नाराजगी बेशुमार करते हो
मोहब्बत भी कमाल करते हो।।
लग न जाए जिस्म पर
घाव कहीं
लफ्जों से वार करते हो
अपनी बातों को छुपाने के लिए
मिन्नतेें हजार करते हो।।
महसूस करते हैं
किसी के जज्बातों को,
किसी और का इंतजार करते हो
मोहब्बत भी कमाल करते हो।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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