"मौसम के घर का आलम बदला ही जा रहा है"
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"मौसम के घर का आलम बदला ही जा रहा है" (कविता) दास्ताने मौसम

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश February 4, 2022
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मेरी लेखनी, मेरी कविता 
"मौसम के घर का आलम बदला ही जा रहा है"
(कविता) दास्ताने मौसम 

कुछ-कुछ घना है कोहरा, कुछ रात है अंधेरी, मौसम के घर हुई है,गंभीर हेरा फेरी।

 सूरज के सारथी ने रथ  
  अपना जोता होगा, शायद सुब

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